मित्रो! ये जो बसंत ऋतु है इस समय शरीर का कफ पिघल कर निकलता है अर्थात विषैले पदार्थो का निष्कासन होता है. इस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है, शरीर जाती हुई शीत ऋतु और आती हुई ग्रीष्म ऋतु के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है. जिन्हे विभिन्न प्रकार के त्वचा विकार हैं, फेफड़े की समस्याएं बनी रहती है, डिप्रेशन के मरीज हैं, मानसिक स्थित ठीक नहीं रहती इस ऋतु में ऐसे लोगों की परेशानियों में कुछ इजाफा हो जाता है.
अपने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए हमे बसंत ऋतु की आयुर्वेद सम्मत दिनचर्या आहार विहार का पालन करना चाहिये.
नये अन्न, शीतल, चिकनाई युक्त, भारी, खट्टे एवं मीठे द्रव्य, उड़द, आलू, प्याज, गन्ना, नये गुड़, भैंस का दूध व सिंघाड़े का सेवन इस ऋतु में त्याज्य है. इनका सेवन बसंत ऋतु में करना रोग को आमंत्रित करने वाला है.
बसंत ऋतु में हल्दी, नीम, सोंठ, चंदन नगरमोथा का सेवन विभिन्न रूपों में करना उत्तम फलदायक है.
इस ऋतु में हल्दी ताजी उपलब्ध रहती है, इसका स्वरस व अन्य प्रकार से सेवन करने से दूषित कफ आदि विषैले पदार्थों का शमन निह्सारण होता है.
जिन्हे नीम की ताजी कोपले मिल जाये वो प्रतिदिन सुबह कोपलों को चबाकर एक घूट पानी पी लिया करें, होली तक यह प्रयोग करते रहने से शरीर में कई प्रकार के संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. नीम का सेवन पित्त को भी संतुलित करता है. त्वचा की परेशानियों से राहत मिलती है.
जो अस्थमा COPD BRONCHITIS आदि फेफड़े की बीमारियों से ग्रस्त हैं वो इस ऋतु में विशेष ध्यान रखें. रात के सर्द और दिन के गरम मौसम में तारतम्य बैठाना इनके लिये मुश्किल हो जाता है. ये लोग फ्रिज का पानी बिल्कुल भी नहीं पिये. सर्दी चली गयी ऐसा मानकर ठंडी हवा में घूमना, कुछ गर्मी लगने से AC पंखा आदि का प्रयोग करना इन्हे तकलीफ देगा. सोंठ, हल्दी काली मिर्च बादाम को गुड़ में पकाकर अवलेह आदि बनाकर खाये..
इस मौसम में सूखी खांसी का प्रकोप भी बहुत देखने को मिलता है, सूखी खांसी से बचने के लिए गरम दूध में थोड़ा सा गाय का घी और मिश्री मिलाकर पीना चाहिये.
पाचन शक्ति मन्द रहने से देर में पचने वाले भोजन से बचें.
बसंत ऋतु में मालिश और उबटन अवश्य करना चाहिये. बसंत ऋतु में शिशुओं का उबटन करने से वो सुंदर आकर्षक हो जाते हैं.. उबटन तैयार करने में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें.
रूखा, कड़वा तीखा, कसैले रस वाले पदार्थों का सेवन बसंत ऋतु में उत्तम है.
अपने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए हमे बसंत ऋतु की आयुर्वेद सम्मत दिनचर्या आहार विहार का पालन करना चाहिये.
नये अन्न, शीतल, चिकनाई युक्त, भारी, खट्टे एवं मीठे द्रव्य, उड़द, आलू, प्याज, गन्ना, नये गुड़, भैंस का दूध व सिंघाड़े का सेवन इस ऋतु में त्याज्य है. इनका सेवन बसंत ऋतु में करना रोग को आमंत्रित करने वाला है.
बसंत ऋतु में हल्दी, नीम, सोंठ, चंदन नगरमोथा का सेवन विभिन्न रूपों में करना उत्तम फलदायक है.
इस ऋतु में हल्दी ताजी उपलब्ध रहती है, इसका स्वरस व अन्य प्रकार से सेवन करने से दूषित कफ आदि विषैले पदार्थों का शमन निह्सारण होता है.
जिन्हे नीम की ताजी कोपले मिल जाये वो प्रतिदिन सुबह कोपलों को चबाकर एक घूट पानी पी लिया करें, होली तक यह प्रयोग करते रहने से शरीर में कई प्रकार के संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. नीम का सेवन पित्त को भी संतुलित करता है. त्वचा की परेशानियों से राहत मिलती है.
जो अस्थमा COPD BRONCHITIS आदि फेफड़े की बीमारियों से ग्रस्त हैं वो इस ऋतु में विशेष ध्यान रखें. रात के सर्द और दिन के गरम मौसम में तारतम्य बैठाना इनके लिये मुश्किल हो जाता है. ये लोग फ्रिज का पानी बिल्कुल भी नहीं पिये. सर्दी चली गयी ऐसा मानकर ठंडी हवा में घूमना, कुछ गर्मी लगने से AC पंखा आदि का प्रयोग करना इन्हे तकलीफ देगा. सोंठ, हल्दी काली मिर्च बादाम को गुड़ में पकाकर अवलेह आदि बनाकर खाये..
इस मौसम में सूखी खांसी का प्रकोप भी बहुत देखने को मिलता है, सूखी खांसी से बचने के लिए गरम दूध में थोड़ा सा गाय का घी और मिश्री मिलाकर पीना चाहिये.
पाचन शक्ति मन्द रहने से देर में पचने वाले भोजन से बचें.
बसंत ऋतु में मालिश और उबटन अवश्य करना चाहिये. बसंत ऋतु में शिशुओं का उबटन करने से वो सुंदर आकर्षक हो जाते हैं.. उबटन तैयार करने में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें.
रूखा, कड़वा तीखा, कसैले रस वाले पदार्थों का सेवन बसंत ऋतु में उत्तम है.
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